संदेश
कृषि मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र का सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना बनाई है। इन योजनाओं को बनाने के दौरान कृषि से संबंधित सभी हितधारकों, किसान समुदायों, वैज्ञानिकों, नीति निर्धारकों, जनता के प्रतिनिधियों से परामर्श करने के प्रयास किए गए हैं। हमारे माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी का लक्ष्य यह है कि हमारे किसान इस योग्य बन जाए कि वे संपूर्ण राष्ट्र और विश्व का भरण-पोषण कर सकें। उन्होंने दृढ़ संकल्प किया है कि कृषि क्षेत्र को किसानों के लिए व्यावहारिक और लाभदायक बनाया जाए।
मेरी यह धारणा है कि किसान और खेत हमारे राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इन दोनों की बेहतरी के लिए आधारभूत सुविधाओं का विकास तथा सुधार करना आवश्यक है। प्रारंभ में आधारभूत सुविधाओं को जुटाने में कुछ समय लगता है लेकिन इसका परिणाम दूरगामी और स्थायी होता है।
किसानों की उन्नति के लिए जरूरी है कि खेती के लिए जरूरी चीजों की लागत में कमी करने के साथ-साथ किसानों के उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाया जाए। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सबसे पहले प्रत्येक किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने की शुरूआत की गई है। प्रथम हरित क्रांति के दौरान और उसके बाद उर्वरकों के अत्यधिक और असावधानी पूर्वक किए गए प्रयोग का परिणाम देश अभी तक भुगत रहा है। उर्वरकों के असंतुलित उपयोग के कारण मृदा में कई कमियां आ गई हैं। इसलिए हम इससे सबक लेते हुए दूसरी हरित क्रांति के दौरान यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि गलती की पुनरावृत्त्ति न हो। हमारे माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने अपने इस मत को दोहराते हुए कहा है कि देश में चल रहे विकासक्रम के दौरान हमें पर्यावरण और मृदा को संरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। यह मन्तव्य पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार का 597 करोड़ रूपए आवंटित करते समय स्पष्ट हो गया है और इसके अंतर्गत केंद्र सरकार ने पहली बार जैविक कृषि पर जोर दिया है।
कृषि विकास की राह में दूसरी सबसे बड़ी चुनौती हमारे देश में उचित सिंचाई सुविधाओं का न होना है। सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने के उद्देश्य से 50,000 करोड़ रूपए की लागत से ‘’प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’’ शुरू की गई है। हम माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा प्रतिपादित ‘’प्रति बूंद अधिक फसल’’ लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
कृषि विकास का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलाना है। इसके लिए किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बेहतर संपर्क और समन्वय स्थापित करना जरूरी है जिसके न होने से किसान अपने उत्पादों को बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘’कृषि टैक अवसंरचना कोष’’ की व्यवस्था करने के साथ एक संयुक्त राष्ट्रीय कृषि मंडी स्थापित करने की शुरूआत की गई है।
इसके अलावा देश में बागवानी फसलों की खेती को बढावा देने के लिए चमन नाम की एक योजना शुरू की गई है।
फार्म पर पाली जाने वाली देशी नस्लों में सुधार करने के लिए दूसरी ‘’राष्ट्रीय गोकुल मिशन’’ नामक योजना शुरू की गई है। इसी प्रकार मछली पालकों के लाभार्थ नीली क्रांति मिशन शुरू किया गया है।
गांवों में रहने वाले बुजुर्गों की हालत में सुधार लाने के लिए भारत सरकार ने अटल पेंशन योजना के नाम से सभी नागरिकों के लिए एक पेंशन योजना शुरू की है। इस योजना के द्वारा किसानों को भी काफी लाभ पहुंचेगा। वे लोग जिन्होंने ‘जन धन योजना’ के तहत खाते खोले हैं वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
हमारी नई केंद्र सरकार की आकांक्षा है कि कृषि क्षेत्र से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान कार्यों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ उन्हें आगे बढ़ाया जाए। कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमने आंध्र प्रदेश और राजस्थान में दो नए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों तथा तेलंगाना तथा हरियाणा में दो नए राज्य बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए 200 करोड़ रूपए के बजट का आवंटन (2014-15) किया है। पूर्वोत्तर राज्यों को केंद्रीय इम्फाल कृषि विश्वविद्यालय के तहत 6 नए कृषि कॉलेजों को स्थापित करने तथा मेघालय में 1 नए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए 788.33 करोड़ रूपए के बजट का आंवटन किया गया है। झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय विश्वविद्यालय को आगे विस्तारित एवं अधिक सुविधाओं से सुसज्जित करने तथा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के झांसी और दतिया जिलों में 4 नए कृषि, बागवानी व वानिकी, पशुचिकित्सा व पशुविज्ञान तथा मात्स्यिकी कॉलेजों को स्थापित करने हेतु समुचित बजट का आंवटन किया जायेगा ।
हमने भारत के सर्वाधिक प्राचीन शैक्षणिक संस्थानों में से एक-राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार के संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके कृषि शिक्षा और अनुसंधान की दिशा में एक और सारगर्भित एवं बुनियादी कार्य निष्पादित किया है। पूसा विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। कृषि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रौद्योगिकी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए रांची, झांरखंड में राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान की बुनियाद रखी गर्इ है।
कृषि अनुसंधान कार्यों को सुदृढ़ करने के लिए हमने असम और झारखंड में कृषि अनुसंधान के लिए दो नए संस्थान स्थापित करने का प्रावधान किया गया है । इसके अलावा राष्ट्रव्यापी कृषि विज्ञान केन्द्र के नेटवर्क को सुदृढ़ एवं विस्तारित किया जा रहा है ताकि ‘‘प्रयोगशाला से खेत तक” अवधारणा को फलीभूत किया जा सके । विगत दो वर्षों के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या 637 से बढ़ाकर 668 की जा चुकी है और प्रत्येक जिले में एक कृषि विज्ञान केन्द्र खोलने का लक्ष्य शीघ्र ही पूरा कर लिया जायेगा । इस प्रकार कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार संबंधी कार्यों को प्राथमिकता देने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री महोदय के दिशा-निर्देशों पर पूरी तरह अमल किया गया है ।
मेरा गांव – मेरा गौरव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक अनूठी पहल है जिसके अंतर्गत विभिन्न संस्थाभनों के कृषि वैज्ञानिकों से अपेक्षित है कि वे स्वैच्छिक रूप से अपने समय का योगदान गांवों में अपने सम्पर्क स्थापित करने एवं नवीन तकनीकों के बारे में किसानों को समय-समय पर परामर्श दें। यह भी अपेक्षित है कि विभिन्न संस्थानों के कृषि वैज्ञानिक 4 – 4 का समूह बनाकर प्रत्येक समूह द्वारा 5 गांवों को चयनित किया जाए और आवश्यकतानुसार गांवों का दौरा करके वहां किसानों को परामर्श सेवा प्रदान की जाए। इस स्कीम के तहत अभी तक 13,000 से भी अधिक गांवों को चयनित करके वहां कृषि वैज्ञानिक अपना योगदान दे रहे हैं।
वास्तव में कृषि क्षेत्र की ओर युवकों को आकृर्षित करना और इस क्षेत्र के प्रति उनकी रूचि को बरकरार रखना एक जबरदस्त चुनौती है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ‘’आर्या’’ यानि (अट्रेक्टिंग एंड रिेटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्चर) नामक योजना शुरू की गई है।
मित्रों हमारा प्रयास बुजुर्गों, महिलाओं और संपूर्ण किसान समुदाय की भलाई और हितों की रक्षा करना है। इसकी सफलता के लिए हम योजनाएं चला रहे हैं। यह हमारे माननीय प्रधानमंत्री महोदय जी की विकास संबंधी सोच का एक स्पष्ट उदाहरण है जिसे हम ‘सबका साथ सबका विकास’ के रूप में व्यक्त कर सकते हैं।
मुझे पूरी आशा है कि हमारी सरकार द्वारा की गई सभी पहलों से हमारे सभी देशवासी लाभांवित होंगे। निस्संदेह आपका कल्याण करना ही हमारा उद्देश्य है।
राधा मोहन सिंह
समाचार कोना
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